Tuesday, December 7, 2021

 एक दिन अक्षत कार्टून में कछुए और खरगोश की कहानी देख रहे थे। अक्षत को कहानी अच्छी लगी। उसने कहानी को याद कर लिया। शाम को हम लोग बैठे थे चाय पी रहे थेतभी अक्षत ने कहा कि वह एक कहानी सुनाना चाहते हैं। हमने कहा भाई सुना दो। अक्षत ने कहानी सुनाई - एक कछुआ था और एक खरगोश था। दोनों अच्छे दोस्त थे। एक दिन दोनों ने कहा चलो रेस लगाते हैं। दोनों ने एक दूसरे से हैंड शेक किया और रेस शुरू की। खरगोश बहुत कस के दौड़ा और आगे निकल गया। कछुआ धीरे धीरे चलता रहा। खरगोश ने जब पीछे मुड़कर देखा तो कछुआ बहुत पीछे रह गया था। उसने सोचा कछुआ अभी बहुत पीछे हैं चलो थोड़ा आराम कर लें तभी उसने एक गाजर का खेत देखा। उसको भूख लगी थी उसने एक गाजर तोड़ी उसे खाया और वो सो गया। कछुआ धीरे धीरे चलता रहा और खरगोश से आगे निकल गया। जब खरगोश की आंख खुली तब उसने देखा कि कछुआ तो जीत गया था। वह बहुत दुःख हुआ और कहानी खत्म हो गई।

कमाल तो तब हुआ जब अक्षत ने बताया इस कहानी से हमें क्या शिक्षा मिलती हैअक्षत ने बताया कि इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि "हमें गाजर खाकर सोना नहीं चाहिए"।
चाय खत्म हो चुकी थी और हम सब पेट पकड़ कर हंस रहे थे।

 

Sunday, November 28, 2021

 

अक्षत और स्वस्तिक को अक़्सर रात में कहानी सुनाता हूँ और ये भी बताता हूँ कि इस कहानी से हमें क्या शिक्षा मिलती है। एक रात मैने अक्षत को कहानी सुनाई कि कैसे भगवान शिव ने अपने पुत्र गणेश की गर्दन काट दी थी और फिर एक हाथी का सिर लगा कर के फिर से उन्हें जीवित कर दिया। कहानी मैंने अपने तरीके से समझाई लेकिन अक्षत ने कहानी को अपने तरीके से समझा और दो दिन बाद अक्षत ने रात में हमको फिर वही कहानी अपने अंदाज़ में सुनाई। कहानी तो जैसे तैसे अपने तरीके से अक्षत ने सुना दी लेकिन धमाका तब हुआ जब अक्षत ने इस कहानी से हमें क्या शिक्षा मिलती है यह बताया। कहानी खत्म होने के बाद अक्षत ने बताया हमें इस कहानी से यह शिक्षा मिलती है कि "हमें किसी का गला नहीं काटना चाहिए"।

यह सुनकर हम लोग लोट-पोट हो गए और देर रात तक यह सोच -सोच कर हँसते रहे. अक्षत समझ नही पा रहे थे कि हम लोग क्यों हंस रहे है. 

 

बचपन अनमोल होता है और बचपन की शरारतें होती है जीवन की सबसे मीठी यादें. स्वास्तिक करीब साढ़े तीन या चार साल का होगा. कार्टून का शौकीन. उस समय कृष्णा कार्टून स्वास्तिक का पसंदीदा कार्टून था. उसमे कृष्णा एक राक्षस ‘जटासुर’ से हर एपिसोड में लड़ता रहता था. स्वास्तिक को कार्टून के सारे करेक्टर के नाम कंठस्त हो गए थे. वाकिया कुछ यूं घटित हुआ कि घर के सब लोग बैठे परिवार में हुई किसी शादी पर यूं ही चर्चा कर रहे थे. टाइम पास. गपशप जैसा. बातों-बातों में कई बार ससुर शब्द आया, जैसे उनके ससुर ने ये कहा, उनके ससुर ने वो कहा. कार्टून देख रहे स्वस्तिक ने खीज कर बीच में बोला, अरे ‘ससुर’ नही...’जटासुर’ होता है. इतना सुनते ही सब खिलखिला कर हंस पड़े.

  एक दिन अक्षत कार्टून में कछुए और खरगोश की कहानी देख रहे थे। अक्षत को कहानी अच्छी लगी। उसने कहानी को याद कर लिया। शाम को हम लोग बैठे थे चाय...