एक दिन अक्षत कार्टून में कछुए और खरगोश की कहानी देख रहे थे। अक्षत को कहानी अच्छी लगी। उसने कहानी को याद कर लिया। शाम को हम लोग बैठे थे चाय पी रहे थे, तभी अक्षत ने कहा कि वह एक कहानी सुनाना चाहते हैं। हमने कहा भाई सुना दो। अक्षत ने कहानी सुनाई - एक कछुआ था और एक खरगोश था। दोनों अच्छे दोस्त थे। एक दिन दोनों ने कहा चलो रेस लगाते हैं। दोनों ने एक दूसरे से हैंड शेक किया और रेस शुरू की। खरगोश बहुत कस के दौड़ा और आगे निकल गया। कछुआ धीरे धीरे चलता रहा। खरगोश ने जब पीछे मुड़कर देखा तो कछुआ बहुत पीछे रह गया था। उसने सोचा कछुआ अभी बहुत पीछे हैं चलो थोड़ा आराम कर लें तभी उसने एक गाजर का खेत देखा। उसको भूख लगी थी उसने एक गाजर तोड़ी उसे खाया और वो सो गया। कछुआ धीरे धीरे चलता रहा और खरगोश से आगे निकल गया। जब खरगोश की आंख खुली तब उसने देखा कि कछुआ तो जीत गया था। वह बहुत दुःख हुआ और कहानी खत्म हो गई।
कमाल तो तब हुआ जब अक्षत ने बताया इस कहानी से हमें
क्या शिक्षा मिलती है? अक्षत ने बताया
कि इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि "हमें गाजर खाकर सोना नहीं
चाहिए"।
चाय खत्म हो चुकी थी और हम सब पेट पकड़ कर हंस रहे थे।